उत्तराखंडमंत्रिपरिषदशासन

पशुपालन विभाग में घोटाले की गन्ध , नियम कानून तोड़ कर gvk से कर दिया पशु एम्बुलेंस चलाने वाला करोडों काअनुबन्ध।

देहरादून।

उत्तराखंड में शायद ही कोई ऐसा विभाग हो जिसपर घोटालों का आरोप न लगा हो जँहा एक ओर इन दिनों उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के द्वारा की गई भर्तियों में हुए घोटाले की जाँच एसटीएफ कर रही है जिसमे तमाम लोगो की गिरफ्तारी हुई है वंही विधानसभा में हुई बैकडोर भर्तियों को लेकर बेरोजगार युवक सड़कों पर है , और सरकार व भारतीय जनता पार्टी शर्मिदा है वंही अब पशुपालन विभाग का भी एक कारनामा सामने आया है जिसमे पशुपालन विभाग के द्वारा पशु एम्बुलेंस चलाने का करोड़ो रूपये का टेण्डर अपनी चंहेती फार्म को दे दिया गया जिसमें किसी प्रकार की पारदर्शिता नही अपनाई गई न ही उत्तराखंड रिक्रूटमेंट रूल 2018 का पूरी तरह पालन किया गया सिर्फ खाना पूर्ति के लिए दो बार टेण्डर किया गया लेकिन सर्ते ऐसी रखी गयी जिसमे सिर्फ विभाग की चंहेती कम्पनी ही टेन्डर भर सके।

केन्द्र सरकार की योजना होने के कारण सरकार बनते ही प्रक्रिया सुरु कर दी गयी लेकिन विभाग के द्वारा प्रक्यूमेंट रूल तोड़ते हुए मात्र 2 अखबार में विज्ञापन दिया गया जबकि कमसे कम 3 अखबार में विज्ञाप्ति जारी करनी जरूरी है जिसकी बजह से ज्यादा फर्मो के द्वारा हिस्सा नही लिया जा सका, जबकि प्री विड के दौरान कई बड़ी फर्मो ने हिस्सा लिया और अपना पक्ष रखते हुए विभाग से शर्तो में परिवर्तन करने का आग्रह किया गया जैसा कि प्रक्यूमेंट रूल्स में भी दर्शाया गया है कि विज्ञप्ति ऐसी होनी चाहिए जिसमें ज्यादा से ज्यादा विडर आये और कंपीटिशन हो जिससे विभाग को भी लाभ हो और कार्य में गुडवत्ता भी बनी रहे , लेकिन विभाग ने उसे स्वीकार नही किया और उन्हीं शर्तो के अनुरूप टेन्डर जारी कर दिया जिसके लिए मात्र gvk ही योग्य थी और पहली बार टेण्डर प्रक्रिया में gvk ने हिस्सा लिया जिसे विभाग ने एम्बुलेंस चलाने का टेण्डर दे दिया, हालाँकि विभाग ने कुछ शर्म करते हुए दूसरी बार ऑन लाईन टेण्डर प्रक्रिया तो की लेकिन उसमें भी gvk के द्वारा दिये गए अनुभव वाली फर्म ने ही हिस्सा लिया और मजे की बात ये है कि टेण्डर 6 मई की शाम 6.48 पर gvk व उसी दिन दूसरी फर्म अचला आईटी सल्यूशनस pvt ltd ने 6.55 पर एक ही शहर से टेण्डर सम्मिट किया गया जोकि ये दर्शाता है कि टेण्डर पहले से ही मैनेज है।
7 मई को 1.12 बजे टेण्डर ओपन हुआ और मात्र 4 मिनट में इवोल्यूशन कर 1.16 बजे पास कर दिया गया, ये तो रही प्राथमिक जानकारी जिससे लगता है टेण्डर पहले से ही मैनेज है और इससे बड़ी बात ये है कि gvk कम्पनी का विभाग के द्वारा इवोल्यूशन इस टेन्डर प्रक्रिया के सम्पन्न होने से पहले ही 27 अप्रेल 2022 को किया जा चुका था जिसके आधार पर टेण्डर आवंटित किया गया गया है जिसकी जानकारी स्वंय सूचना के अधिकार में विभाग ने दी है।

हालाँकि खबर को पुख्ता करने के लिए खबर लिखने से पहले विभाग से आरटीआई के जरिये सूचना माँगी गयी जिसमे विभाग के द्वारा विधिवत जानकारी नही दी और दो बिंदुओं पर तो सिर्फ गुमराह करने की कोशिश की गई, जिसमे निविदा जमा करने का साक्ष्य मय डेट टाईम एवं आईपी एड्रस की प्रति व निविदा फाइल की समस्त नोटिंग /नोट शीट की प्रति माँगी गयी थी जिसे विभाग ने उपलब्ध ही नही करवाया गया जिसपर प्रथम अपीलीय अधिकारी के यंहा अपील की जिसमे इस सूचना की जानकारी जरूर दी गयी परन्तु दूसरे बिन्दु में टेण्डर प्रक्रिया की समस्त नोटिंग/नोट शीट माँगी गयी थी जिसे भी अपीलीय अधिकारी के द्वारा उपलब्ध करवाई गई जिसमें मात्र टेण्डर से पहले प्रिविड़ बैठक का अनुमोदन लिया गया अन्य किसी प्रकार की इस नोट शीट में कोई जिक्र नही किया गया जैसा कि हर विभाग में छोटे से छोटे कार्य के लिए भी प्रॉपर नोट शीट चलती है जिसमे सभी अधिकारी व प्रक्रिया का पार्ट होने वाले कर्मचारियों के द्वारा अपने विचार लिख कर हस्ताक्षर किए जाते है ।

टेण्डर प्रक्रि में विभाग के द्वारा वर्ती गयी अनियमितताए।
1. टेण्डर प्रक्रिया में प्रॉपर नोट शीट नही चलाई गई।
2.टेण्डर में वही शर्ते रखी गयी जिसमे मात्र gvk ही प्रतिभाग कर सके।
3.टेण्डर में तीन विडर न आने पर कमसे कम प्रक्यूमेंट रूल के अनुसार तीन बार टेण्डर निकाला जाना चाहिए जिसे पूरा नही किया गया।
4. टेण्डर प्रक्रिया में भाग लेने वाली दूसरी फर्म और gvk दोनों एक ही जगह की है और मात्र 2 मिनट के अन्तर में एक कि तिथि को एक ही जगह से टेण्डर भरा गया जिससे लगता है दूसरी फर्म ने सपोर्टिंग टेण्डर के रूप में भाग लिया है।
5.टेण्डर में एल वन आने वाली फर्म gvk का विभाग द्वारा दूसरी बार एव्युलेशन भी नही किया गया।
6.टेण्डर पास होने के बाद फर्म के पूरे प्रपत्र ऑन लाईन अपलोड नही किये गए।
7.सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सपोर्टिंग फर्म को अनुभव भी gvk के द्वारा ही दिया गया है।
8.कई प्रदेशों में टेण्डर को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से पशु एम्बुलेन्स के अतिरिक्त अन्य एम्बुलेन्स संचालन करने वाली संस्थाओं को भी मौका दिया गया यँहा ऐसा नही किया गया।

इसके अतिरिक्त भी इस करोड़ो के टेण्डर में तमाम अनियमितताए वर्ती गयी है जिससे ऐसा लगता है कि यह टेण्डर पूरी तरह से मैनेज है जिसका टेण्डर करना मात्र प्रक्रिया पूरी करना दर्शाता है और इसमें विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत दिखाई दे रही है, क्योंकि इस टेण्डर में मात्र दो बार टेण्डर विज्ञप्ति जारी कर gvk को टेन्टर दे दिया गया लेकिन इसकी जानकारी भी साईट लगभग एक माह के बाद अपलोड की गई जब विभागीय मंत्री ने इस सम्बन्ध में विभाग को आदेशित किया इससे लगता है पशुपालन विभाग में सब कुछ ठीक नही चल रहा है जबकि विभागीय मंत्री सौरभ  बहुगुणा भले ही पहली बार मंत्री बने हो लेकिन वो जिस परिवार से आते है उस परिवार का राजनीतिक इतिहास बहुत लम्बा है इसलिए विभागीय मंत्री की मंशा पर भी सबाल उठते है, अब देखने वाली बात ये है कि क्या इस मामले में भी सरकार या विभागीय मंत्री कोई निर्णय लेंगे या सिर्फ लीपा पोती करेगे।

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