उत्तराखंड

जोशीमठ में कितने प्रभावितों का होगा स्थायी विस्थापन, अंतिम रिपोर्ट मिलने के बाद फैसला लेगी सरकार

जोशीमठ आपदा प्रभावित के लिए सरकार ने पुनर्वास और विस्थापन के लिए तीन विकल्प तो सुझा दिए हैं, लेकिन कितने क्षेत्र और कितने प्रभावितों का स्थायी विस्थापन होगा, यह अभी तय नहीं है। आपदा प्रभावित क्षेत्र के संबंध में विभिन्न तकनीकी संस्थाओं की ओर से किए जा रहे सर्वेक्षण की अंतिम रिपोर्ट मिलने के बाद ही सरकार इस पर कोई निर्णय ले पाएगी। जबकि भवनों का मुआवजा केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) की तय दरों और भूमि का मुआवजा कैबिनेट स्तर पर तय किए जाने वाले सर्किल रेट के आधार पर दिया जाएगा।वैज्ञानिक संस्थाओं की सर्वेक्षण की अंतिम रिपोर्ट राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) से प्राप्त होने के बाद प्रभावित परिवारों से सरकार की ओर से सुझाए गए तीन विकल्पों पर सहमति ली जाएगी। इसके बाद जिला प्रशासन स्तर पर गठित प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीआईयू) स्थायी पुनर्वास की कार्रवाई को आगे बढ़ाएगा। इसके साथ जोशीमठ में आपदा न्यूनीकरण, क्षेत्र के स्थिरीकरण, टो इरोजन, ड्रेनेज प्लान, सीवरेज, नालों की लाइनिंग इत्यादि पर भी तब तक ब्रेक लगा दिया गया है, जब तक कि तकनीकी संस्थाओं की फाइनल रिपोर्ट प्राप्त नहीं हो जाती है।

सीपीडब्ल्यूडी की ओर से निर्धारित दरें
जोशमठ आपदा प्रभावित के भवनों का मुआवजा केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) की तय दरों पर दिया जाएगा।

– पक्के आरसीसी व्यावसायिक भवनों के लिएः 27 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर के साथ पांच प्रतिशत अतिरिक्त धनराशि के साथ
– पक्के आरसीसी आवासीय भवनों के लिए 20 हजार 685 रुपये प्रति वर्ग मीटर 15 प्रतिशत अतिरिक्त धनराशी के साथ
– अन्य व्यावसायिक भवनों के लिए 2295 रुपये प्रति वर्ग मीटर पांच प्रतिशत अतिरिक्त धनराशि के साथ
– अन्य आवासीय भवन के लिए 17640 रुपये प्रति वर्ग मीटर 15 प्रतिशत अतिरिक्त धनराशि के साथ

व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के बिजली-पानी के बिल भी छह माह तक माफ

सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने स्पष्ट किया है कि आपदा प्रभावित परिवारों के साथ ही आपदा प्रभावित व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के बिजली, पानी के बिल छह माह तक माफ किए गए हैं। इस संबंध में उच्चाधिकार प्राप्त समिति की ओर से फैसला लिया गया है।

जिनकी नौकरी छूट गई, उन्हें दी जाएगी वित्तीय सहायता
जोशमीठ आपदा प्रभावित क्षेत्र में स्थित व्यावसायिक प्रतिष्ठान में काम करने वाले कार्मिकों, श्रमिकों आदि जिनका रोजगार छिन गया, उन्हें सरकार अलग से आर्थिक सहायता देगी। इस संबंध में जिलाधिकारी चमोली को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा जाएगा। बतातें चलें कि कोरानाकाल में भी सरकार ने ऐसे कार्मिकों और श्रमिकों के लिए अगल से वित्तीय सहायता राशि दी थी।

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